स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
कवि का जीवन बहुत ही संघर्षशील एवं दुखद रहा है और उसे अपनी आगे की जिंदगी में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है| वह अपने जिंदगी के अनुभवों, कष्टों से आहत और निराश है और उसका जीवन में आगे बढ़ने का उत्साह समाप्त हो गया है|
इस प्रकार की स्थिति में जब कोई यात्री अपने पथ पर आगे नहीं बढ़ना चाहता है तब उस स्थिति में पाथेय उसे अपने पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है| इसी प्रकार से कवि भी अपने जीवन के इस पड़ाव पर अपने जीवन की उन सुखद स्मृतियों को पाथेय बनाकर आगे जीना चाहता है| वह अपने जीवन के उन निराशजनक पलों, दुखद अनुभवों से लड़ने के लिए अपनी सुखद स्मृतियों को आधार बनाकर आगे के जीवन के लिए उन स्मृतियों को पाथेय बनाकर अपना जीवन गुजारना चाहता है|